जब शशि कपूर ने किशोर कुमार के एक गाने के लिए पूरी फिल्म की स्क्रिप्ट बदलवा दी!
भारतीय सिनेमा के इतिहास में कुछ गाने ऐसे होते हैं जो फिल्म से भी बड़े बन जाते हैं। वे दशकों तक लोगों के दिलों में बसे रहते हैं और उस फिल्म को हमेशा के लिए यादगार बना देते हैं। ऐसा ही एक गाना है "घुंघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं", जिसे अपनी जादुई आवाज़ दी थी किशोर कुमार ने और इसे परदे पर उतारा था शशि कपूर ने। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस अमर गीत को शुरुआत में एक सुपरहिट फिल्म का हिस्सा बनने से मना कर दिया गया था? और यह सिर्फ शशि कपूर की ज़िद थी जिसने इस गाने को हम तक पहुँचाया? आइए जानते हैं इस अद्भुत कहानी को।
बात है 1974 की, जब एन.एन. सिप्पी की सुपरहिट फिल्म 'चोर मचाए शोर' रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में शशि कपूर, मुमताज़ और डैनी थे। फिल्म का संगीत रवींद्र जैन ने दिया था, और यह संगीत निर्देशक के तौर पर उनकी पहली फिल्म थी। गाने के बोल रवींद्र जैन और इंद्रजीत सिंह तुलसी ने लिखे थे।
फिल्म 'चोर मचाए शोर' की शूटिंग चल रही थी। एक दिन, शशि कपूर और मुमताज़ फिल्म का गाना "ले जाएँगे ले जाएँगे" सुनने के लिए रिकॉर्डिंग स्टूडियो गए। वे चाहते थे कि गाने की शूटिंग शुरू होने से पहले वे खुद को गाने के मूड के हिसाब से तैयार कर सकें। स्टूडियो में पूरी म्यूजिक यूनिट मौजूद थी।
यह सुनकर शशि कपूर को थोड़ा बुरा लगा। फिर उन्होंने धीरे से रवींद्र जैन से उस किशोर कुमार वाले गाने के बारे में पूछा जिसे उन्होंने कुछ साल पहले रिकॉर्ड किया था। शशि कपूर उस गाने को सुनना चाहते थे।
खुशकिस्मती से, उस दिन रवींद्र जैन के पास उस गाने की रिकॉर्डिंग थी। उन्होंने गाना बजाया। गाना सुनते ही वहाँ मौजूद सभी लोग एकदम आश्चर्यचकित रह गए। गाना था – "घुंघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं..."। शशि कपूर ने इस गाने को सिर्फ एक बार सुना। किशोर दा ने जिस गहराई से इसे गाया था, शशि कपूर तुरंत समझ गए कि यह गाना इतिहास रचेगा। वे यह जानकर हैरान रह गए कि इतना खूबसूरत गाना फिल्म का हिस्सा क्यों नहीं था।
शशि कपूर ने देर नहीं लगाई। उन्होंने तुरंत निर्देशक अशोक रॉय से संपर्क किया और उन्हें जल्द से जल्द स्टूडियो आने को कहा। निर्देशक के आते ही, शशि कपूर ने उनसे किशोर दा के इस गाने को सुनने का अनुरोध किया और इसे अपनी फिल्म 'चोर मचाए शोर' में शामिल करने के लिए कहा।
लेकिन एक समस्या थी – फिल्म की स्क्रिप्ट में ऐसी कोई सिचुएशन नहीं थी जहाँ कोई नया गाना जोड़ा जा सके। निर्देशक ने शायद इस बात पर ज़ोर दिया होगा। लेकिन शशि कपूर छोड़ने वालों में से नहीं थे। वे अपनी बात पर अड़े रहे। उन्होंने निर्देशक से कहा कि अगर यह गाना फिल्म में शामिल किया जाता है, तो फिल्म निश्चित रूप से सुपरहिट तो होगी ही, बल्कि लोग इस फिल्म को केवल इस गाने की वजह से ही हमेशा याद रखेंगे।
शशि कपूर अपनी बात पर इतने दृढ़ थे कि उन्होंने निर्माता सिप्पी जी के साथ मिलकर फिल्म की स्क्रिप्ट में बदलाव करने का फैसला किया। फिल्म की मूल स्क्रिप्ट में, अच्छे दोस्त बनने से पहले जेल के अंदर डैनी और शशि कपूर के बीच एक फाइट सीन था। यह 70 के दशक की एक्शन फिल्मों के लिए एक बहुत ही सामान्य फॉर्मूला था। शशि कपूर और निर्माता ने मिलकर इस फाइट सीन को बदल दिया और उसकी जगह इस गाने को शामिल किया।
और आखिरकार, दर्शकों ने शशि कपूर को फिल्म में डैनी और असरानी की मौजूदगी में यह अमर गाना गाते हुए देखा। किशोर कुमार की ईश्वरीय आवाज़ की ताकत इस बेहद मधुर और अमर गीत में एक बार फिर साबित हुई।
शशि कपूर ने जो कहा था, वह बिल्कुल सही साबित हुआ। फिल्म 'चोर मचाए शोर' को आज भी खास तौर पर 'घुंघरू की तरह' गाने के लिए याद किया जाता है। सूत्रों के अनुसार, यह गाना किशोर दा के भी पसंदीदा गानों में से एक था। फिल्म के अन्य गाने भी हिट हुए थे, लेकिन 'घुंघरू की तरह' गाना पूरे 70 के दशक के सबसे बेहतरीन गानों में से एक था।
यह कहानी दिखाती है कि कैसे कभी-कभी एक कलाकार की दूरदर्शिता और दृढ़ विश्वास एक कलाकृति को अमर बना सकता है। शशि कपूर का उस गाने पर विश्वास और उसे फिल्म में शामिल करवाने की उनकी ज़िद ने हमें भारतीय सिनेमा का एक ऐसा नगीना दिया जिसे सुनकर आज भी दिल को सुकून मिलता है।
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